पान की दुकान (Paan Ki Dukaan)
Saturday, October 25, 2008
दीपावली की शुभकामनाएँ
उजालों की चाह में उड़ कर सूर्य से
मन का दिया जला लूँ ज़रा
अमावास के अँधेरों के लिये
रौशन उजाले सँभाल लूँ ज़रा
कोई छू ले तो लौ से उजाले
उसमें भी कर दूँ मैं ज़रा
रात ऐसी है यह चाँद के उजाले भी नहीं
दिये से दिये जलाकर अँधेरों को बुझा दे ज़रा
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