Saturday, January 30, 2010

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

वृक्ष हों भले खड़े, हों घने,
हों बड़े, एक पत्र-छाँह भी माँग मत,
माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

यह महान दृश्‍य है
चल रहा मनुष्‍य है
अश्रु-स्वेद-रक्‍त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

- हरिवंशराय बच्चन