जेड गुडी को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ महीने पहले ऐसी ही चर्चा निहिता विश्वास व चार्ल्स शोभराज को लेकर थी। मार्किटिंग के इस जमाने में तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगती। कई बार छोटी-छोटी बातों को भी इतनी अहमियत दे दी जाती है कि पूरी दुनिया में उन्हीं की चर्चा होती रहती है। जाहिर है, आज बाजार में केवल सामान ही नहीं, इमोशंस भी बिकते हैं
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोई तरकीब नहीं सिखाई जाती और न ही मार्किटिंग के लॉन्ग डिस्टन्स कोसेर्ज में इसकी शिक्षा दी जाती है। ये छोटी-छोटी बातें समाज के बीच से ही निकलती हैं और देखते ही देखते दुनिया में छा जाती हैं। मॉडर्न मार्किटिंग में लोगों को अपने प्रॉडक्ट या ब्रैंड की ओर खींचने के रूल्स बदल गए हैं। आज के उपभोक्तावादी युग में दुनिया एक बाजार में तब्दील हो गई है, जहां हर कोई अपने-अपने ढंग से अपनी मार्किटिंग करने की कोशिश करता है। अब दुनिया में केवल सामान ही नहीं, भावनाएं भी बिकती हैं।
साभार: इकनोमिक टाईम्स
1 comment:
आभार इस प्रस्तुति के लिए.
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