आम धारणा है कि मनमोहन सिंह सिर्फ़ रबड़ स्टाम्प की तरह है और सारे फैसले "दस जनपथ" पर यानी सोनिया गांधी ही करती है। बजट हो, परमाणु करार पर लेफ्ट गीदड़ भपकी, काग्रेस में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तिय और भी है .... सब ही पर सोनिया की मोहर होना जरुरी है।
जब भी कोई मनमोहन सिंह से उनकी सरकार की पूछता है तो वह यह कहकर मुकर जाते है कि सोनिया जी को बात करे है। सच्चाई यह है कि शासन सोनिया गांधी ही कर रही हैं, मनमोहन सिंह तो मात्र प्रशासन चलाते हैं। जब जरदारी यह कहते है कि वह सोनिया गाँधी बनना चाहता हूँ इसका मतलब यह हुआ कि पद बिना विराजे हुए सत्ता सुख। जरदारी तो पहले ही प्रधानमंत्री पद के प्रति अपनी लालसा जाहिर कर चुके हैं।
2 comments:
This is politics man. Be it Jardari or Sonia, Musharaf or Bush .... Bhaiye rajniti hai hi aisi cheez.
पर इसमें खर्चा बहुत आएगा.
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