एक व्यक्ति ने नई कार खरीदी। एक दिन वो अपनी चार वर्ष की बेटी के साथ घुमने के लिए निकला। निकलते समय उसने अपनी कार पे कपड़ा से सफाई करने लगा। उसकी बेटी ने खेलते-खेलते एक पत्थर से उसने कार पे कुछ लिख दिया, उस पर आदमी को गुस्सा आ गया। उसने पास में पड़े डंडे से उसके हाथो पर डंडे मारे, जिससे उसकी हाथो की उंगलियों में काफी चोट पहुची।
उसको अस्पताल ले जाना पड़ा। डॉक्टर ने कहा केस बहुत गंभीर है, उंगलियों बहुत नुकसान पंहुचा है। काफी इलाज कराने के बाद भी ठीक नहीं हुआ तो डॉक्टर ने कहा की बच्ची की उंगलियों काटनी पड़ेगी।
एक दिन बाद, उस ओपरेशन में उस बच्ची की उंगलियों काट दी गई। ओपरेशन के एक घंटे बाद जब बच्ची को होश आया तो उसने अपने पापा से पूछा, पापा मेरी उंगलियों कब वापस आएगी। अपनी गलती पर सर झुकाते हुए अपने किए पर पछता रहा और बार-बार पूछने पर उस व्यक्ति ने अपनी बेटी को सच्चाई बताई की वो अब कभी नहीं आएगी।
इस पर बेटी ने बहुत ही मासूमियत से बताया की उस दिन आपकी नई कार पर मैंने पत्थर से लिखा था "पापा आई लव यू!".
19 comments:
marmik,
भावुक कर दिया।
aankh aur man dono bhar aaye.
अरे बाप रे....
शायद इसी वजह से गुस्से पर काबु रखने के लिये कहा जाता है। मार्मिक और ह्र्दय विदारक।
क्षणीक गुस्सा.. ये क्या किया....
Dr.Rama Dwivedi...
isliye hi kaha gaya hai "krodh paap kaa mool hai". Koi yese maarta hai kya nanhi bachhi ko =((
आँसू आ गए भाई। ऐसी कहानी न लिखा करें।
मुझे पता नहीं कि कभी मैं ने या शोभा (मेरी जीवनसाथी) ने अपने बेटे बेटी पर हाथ उठाया हो।
गुस्से में बच्चे को मारना बहुत नुकसान दायक हो सकता हैं ,लेकिन यह ज्यादती हुई,इतना कोई कैसे मार सकता हैं अपनी बच्ची को.कैसे पापा हैं ?
मार्मिक!!
नही बंधू ये सच्ची घटना नही है ये बहुत पहले circulate हुआ एक मेल है .....हमें भी ये मेल तीन महीने पहले हमारे एक दोस्त ने भेजा था ....हाँ इसके पीछे जो मेसज है वो जरूर अपना अर्थ रखता है
बहुत ही मार्मिक...दिल को छू गई, याद रखने की कोशिश करूंगा क्योंकि गुस्सा मुझे आता नहीं पर जब आता है तो जाता नहीं। काबू में करने की कोशिश में हूं। धन्यवाद
bahut marmik hai, park ke aankh bhi num kar deti hai lekin such ho sakti hai sandeh hai is baat per.
कहानी सुनने वालों में मैं भी मौजूद थी। सो रूह कांप सी गई थी सुनकर। मगर, कहानी का असर अब भी साथ है और चाहूंगी कि साथ रहे। मेरे ही नहीं सभी माता पिताओं तक यह कहानी या इस कहानी से मिलने वाली प्रेरणा पहुंचे। अब ढाई साल के गूगल (मेरा भतीजा) पर जब मेरी अत्याधिक थकावट और उसकी शैतानियों के कारण गुस्सा होने को होती हूं तो अचानक ही उस पर लाड़ आ जाता है। अब मन और मस्तिष्क विकल्प तलाश करता है कि उसे शांत करने का वैकल्पिक उपाय क्या हो सकता हैण्ण्ण् दरअसल, यह सही है कि इंपलसिव रिएक्शन के तौर पर की गई गलतियों पर पछतावा भी पानी नहीं फेरता। वे गलतियां चेहरे पर पड़ा ऐसा निशान बन जाती हैं जिनसे न तो आप पीछा छुड़ा सकते हैं, न ही उनके साथ जी सकते हैं। अब यह पापा (यदि असल में होता) जीवन भर हर दूसरे पल एक अजीब सी ग्लानि एक अजीब से पछतावे में उलझा रहेगाण्ण्।
GUSSA GHOR VINASH KARAK HOTA HAI GUSSA INSAAN KI SABSE BADI KAMJORI OR SABDI SAMSYA HAI GUSSE ME INSAAN APNA SAB KUCH GAWA DETA HAI ISLIYE KAHTE HAI GUSSA KABHI NAHI KARNA CHAHIYE GUSSE PE CANTROOL KARNA CHAHIYE
JAI SHRI SAI NATH
wow...its awsome story...it really touched my heart...
ya really i think its a story which touch not only heart but mind too ....bczz its gives us lesson how to react with childrens when condition will not according to u .......
ANY ONE WHO SAID THAT "ITS A LONG BACK STORY REVOLVING THROUGH MAIL M TOTALLY AGREE BT MY DEAR FRND
QUESTION ARISES WHY NOT ANY OTHER BLOGGER PUBLISH IT SO GLOBALLY"
"HATES OFF" to
MR. vineet KHARE who publish this story with lots of feelings that is why his feelings touchs other feeling"
waiting for ur other post vineet ji
Amritanshu raj khare
Are Bhai, Senti story hai. Aaj kal ke maa baap to ye par kar phir bhi samajh lete hain. Par hamare maan baap jo dande maar maar ke hamaaree seva karte the comix parne ke liye????
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