Saturday, October 25, 2008

दीपावली की शुभकामनाएँ

उजालों की चाह में उड़ कर सूर्य से
मन का दिया जला लूँ ज़रा

अमावास के अँधेरों के लिये
रौशन उजाले सँभाल लूँ ज़रा

कोई छू ले तो लौ से उजाले
उसमें भी कर दूँ मैं ज़रा

रात ऐसी है यह चाँद के उजाले भी नहीं
दिये से दिये जलाकर अँधेरों को बुझा दे ज़रा

2 comments:

शोभा said...

उजालों की चाह में उड़ कर सूर्य से


मन का दिया जला लूँ ज़रा


अमावास के अँधेरों के लिये
रौशन उजाले सँभाल लूँ ज़रा
बहुत सुंदर. दीपावली की शुभ कामनाएं.

akumarjain said...

रात ऐसी है यह चाँद के उजाले भी नहीं
दिये से दिये जलाकर अँधेरों को बुझा दे ज़रा

Aaaj har Bharatvasi ko yahi kaamna karni chahiye, na ki desh ko andhere ki aur dhakelna chahiye.

Deepawali ki subhkamna Vineet Bhai.