Monday, April 28, 2008

नेट पर सार्थक सर्च

इंटरनेट पर सार्थक सामाग्री सर्च करना विज्ञान के साथ-साथ एक कला भी है। सर्च इंजन के विकास करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को अभी तक कोई ऐसा सूत्र हाथ नहीं लगा है जो कि एक झटके में आपको आपकी चाही हुई सामाग्री ला सके।

इसमें सबसे बड़ी बाधा है कि आपकी चाही गई सूचनाओं को समझने के लिए कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के पास अपना कोई दिमाग नहीं है जो आपकी तरह सोचे। वे केवल आपके समझ की तार्किक परिणिति मात्र कर सकते हैं। यहाँ प्रभावी तथा सार्थक सर्च के 10 सूत्र दिए जा रहे हैं, जो आपको अच्छी सर्च करने में जरूर ही मदद करेंगे।

1. सर्च एक कला है : सबसे पहले तो आपको यह मानना होगा कि किसी सर्च इंजन में मात्र कुछ शब्द टाइप करना सर्च नहीं है। सर्च करना तार्किक तथा कलात्मक अभिव्यक्ति है।

2. सर्च इंजन की कार्यप्रणाली की समझ : यदि किसी भी सर्च के प्रति आप गंभीर हैं तो आपको सर्चइंजन चुनने से पहले यह भी समझना होगा कि आपका चुना हुआ सर्चइंजन किस तरह सर्च करता है।

3. पंसदीदा सर्चइंजन को चुनें पर एक पर सीमित न रहें : आज नेट पर सर्चइंजनों की बाढ़ सी आ गई है। प्रत्येक वेब साइट अपने सर्चइंजन की तारीफ करती नजर आती है। इनमें से बहुत सारी वेबसाइटों ने तो कुछ प्रसिद्ध सर्चइंजिनों की मात्र लिंक भर दे रखी है।

आपके चुने हुए सर्चइंजन को विस्तृत डाटाबेस वाला होना चाहिए। उसके डाटाबेस पर निरन्तर कार्य हो रहा हो। तकनीकी रूप से रोज नए फीचर जोड़े जा रहे हों।

एक सर्च इंजन पर अधिकतम सर्च करने से एक तो आप उस सर्च इंजन की कार्य प्रणाली से परिचित हो जाएँगे तथा दूसरा आपको एक ही तकनीकी प्लेटफॉर्म पर सर्च का अभ्यास भी बढ़ेगा।

4. की-वर्ड सावधानी से चुनें और उन्हें अदल-बदल कर आजमाएँ : आपके और कम्प्यूटर के बीच संवाद का सहारा की- वर्ड मात्र ही हैं। यही एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए आप सर्चइंजन तक अपनी बात पहुँचा सकते हैं। जितना सही की-वर्ड होगा उतने ही बढ़िया परिणाम होंगे।

आपकी सर्च की सार्थकता तथा सर्च करने का तरीका बहुत कुछ की-वर्ड के चुनाव पर निर्भर करता है। 'इलेक्शन' और 'अमेरिकन इलेक्शन' दो की वर्ड हैं जिनके चुनने पर आपके सर्च परिणामों में बहुत अंतर हो सकता है।

5. एडवांस्ड सर्च का उपयोग करें : मोटे तौर पर इसे सर्च परिणामों में से सर्च करना कहा जा सकता है। अक्सर सर्चइंजनों द्वारा आपकी खोज के परिणाम हजारों-लाखों की संख्या में दिए जाते हैं। उन सभी वेबपेजों को देखना व्यावहारिक नहीं है।

ऐसी स्थिति में आप परिणामों को परिष्कृत करने के लिए कुछ गणितीय अंकों तथा कोष्ठकों का सहारा लेते हैं। अनावश्यक परिणामों से निपटने के लिए 'एडवांस्ड सर्च ' एक अच्छा रास्ता है। इसी तरह ई ऑपरेटर के जरिए आप उन वेबपेजों को देख सकते हैं जिनमें दोनों की-वर्ड शामिल हों।

अलग-अलग सर्च इंजन अलग-अलग तरीके से ऑपरेटर्स स्वीकार करते हैं, इसलिए आप अपने पंसदीदा सर्चइंजन के ऑपरेटर्स के बारे में पढ़ लें तो ज्यादा अच्छा होगा।

6. सीधे वेबसाइट सर्च करें : अगर आप चांस लेना ज्यादा पंसद करते हों तो गुगल सर्च इंजन के 'आय एम फीलिंग लकी' ऑप्शन को जरूर आजमाएँ। किसी उचित की-वर्ड को गुगल सर्च के एडरेस बार में टाइप करें। फिर नीचे दिए गए ऑप्शन 'आय एम फीलिंग लकी' में क्लिक करें।

आप थोड़ी देर बाद अपने ब्राउजर पर एक वेबसाइट खुली पाएँगे। अधिकांश मामलों में आपकी चाही गई जानकारी के सार्थक परिणाम इस वेबसाइट में मिल जाते हैं।

7. फोटो सर्च अलग से करें : कभी-कभी हम सूचनाओं के रूप में केवल फोटो चाहते हैं। कुछ सर्चइंजन ऐसे हैं जो फोटो सर्च की सुविधा अलग से उपलब्ध कराते हैं।

8. कम प्रसिद्ध सर्च इंजनों को भी उपयोग करें : कभी-कभी अच्छे-अच्छे सर्चइंजनों द्वारा भी वह जानकारी नहीं मिलती जो गैर परम्परागत सर्चइंजनों में एक बार क्लिक करने पर मिल जाती है।

9. सर्च विद इंटेलीजेंस : मित्रों से पूछें : यह विकल्प बुरा नहीं है। खासकर यदि आपको कुछ ऐसे लोगों के बीच कार्यकरने का मौका है जो नेट प्रेमी हैं तथा सूचनाएँ शेयर करने में रुचि लेते हैं, उनसे कोई जानकारी लेना एक अच्छा विकल्प है।

हो सकता है कि वे आपकी घंटों की मेहनत को मिनटों तक सीमित कर दें। यह कहना शायद गलत न हो कि अभी तक इंटेलीजेंट सर्चिंग में यह एक मात्र मौजूद विकल्प है जहाँ निर्णय लेने की क्षमता मौजूद रहती है।

10. सर्च परिणामों को सावधानी से देंखे : अक्सर होता यह है कि सर्च करने वाला सर्च परिणामों की संख्या देखते ही घबरा जाता है। आपको शुरू के कुछ पेजों तक तो जाना ही चाहिए।

आभार: एम एस एन

Tuesday, April 15, 2008

दो रूमाल और 50,000 रूपये (हास्य)

एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी।

आखिर एक दिन बुढ़िया बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढ़िया बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।

बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था । उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ।

खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये?

''रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं ।'' पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।

Friday, April 11, 2008

17 बातें जो ऑफिस में आएं काम

हर कोई शिष्ट या अशिष्ट होता है। हम सभी रोजमर्रा के जीवन में जो व्यवहार करते हैं, वह शिष्टाचार के तहत आता है। शिष्टाचार या अच्छा व्यवहार हर स्थिति में खुद को नियंत्रित रखने का नाम है। जानें कि ऑफिस या कार्यस्थल पर आपका व्यवहार कैसा हो।

1. सहकर्मियों से हाथ मिलाने, उन्हें शुभकामना देने, किसी नए व्यक्ति के आने पर उसका परिचय अन्य लोगों से कराने और उसे कार्य संबंधी जरूरी बातें बताने जैसी बातें शिष्टाचार के तहत आती हैं।

2. फोन करते समय जोर से बोलना, च्यूइंगम या कोई खाद्य पदार्थ मुंह में डालकर बात करना, अभद्र या असम्मानजनक भाषा का प्रयोग करना, सेल फोन का वॉल्यूम बढाए रखना, तेज आवाज में म्यूजिक सुनना बुरे व्यवहार के तहत आता है। ऑफिस में दूसरों की सुविधा के लिए इन बातों का ध्यान रखें।

3. यदि वरिष्ठ पद पर या बॉस की भूमिका में हों तो सेक्रेटरी, कनिष्ठ या सहकर्मियों के साथ सम्मानजनक ढंग से बात करना न भूलें।

4. यदि आप किसी ऐसे संस्थान में हैं, जहां रोज कस्टमर या क्लाइंट से मिलना-जुलना पडता हो तो जरूरी है कि विपरीत स्थिति में भी सहज और स्वाभाविक सकारात्मक मुसकान के साथ बातचीत करें।

5. यदि किसी महत्वपूर्ण विषय पर बैठक होने जा रही है तो सभी को उसकी तैयारी के लिए पर्याप्त समय दें। उन्हें शेडयूल और बैठक का विषय अवश्य बताएं, ताकि वे मानसिक तौर पर तैयार होकर आएं।

6. मिनट्स का विभाजन, बैठक का सार और हर भागीदार को धन्यवाद ज्ञापन जैसी छोटी-छोटी बातों को न भूलें।

7. कभी किसी को ज्यादा देर के लिए प्रतीक्षारत न रखें। यदि आप आवश्यक विचार-विमर्श में व्यस्त हैं और किसी का अपॉइंटमेंट निर्धारित है तो उसे अवश्य इसकी सूचना दे दें। अपरिहार्य कारणोंवश ऐसा संभव न हो सके तो मिलने पर अवश्य उदारतापूर्वक उसे प्रतीक्षा के लिए धन्यवाद दें और अपनी विवशता बताएं।

8. ऑफिस में आपके परिधान भी शिष्टाचार को दर्शाते हैं। कार्य के अनुरूप ऐसी ड्रेस पहनें, जो शालीन हो न कि भडकाऊ किस्म की। गहरे मेकअप से बचें। वर्किग वूमेन हैं तो जरूरी है कि आपके व्यक्तित्व या बॉडी लैंग्वेज से दूसरों को गलत संदेश न जाए।

9. वरिष्ठ पद पर या बॉस की भूमिका में हैं तो लोगों को जानने दें कि आप उनके किन कार्यो की सराहना करते हैं। प्रशंसा करने में कंजूसी न करें। सराहना के कुछ शब्द किसी को प्रोत्साहित करने और आपके प्रति अच्छा महसूस करने को बढावा देंगे।

10. ऑफिस में जोर से न बोलें। ध्यान रखें कि आपकी बातचीत से दूसरों का ध्यान भंग न हो हो। सहकर्मियों-कनिष्ठों पर कोई ऐसा कमेंट न करें, जिससे वे आहत हों।

11. अपने निजी फोन, ईमेल्स का इस्तेमाल अवश्य करें, लेकिन उतना ही, जितना आवश्यक हो। हमेशा निजी फोन पर व्यस्त रहना न सिर्फ शिष्टाचार के नियमों के खिलाफ है बल्कि इससे कार्यक्षमता भी घटती है।

12. दफ्तर में अनावश्यक गपशप को कभी बढावा न दें। बेहतर हो कि खाली समय का सदुपयोग खुद को अपडेट करने के लिए करें। कभी-कभार कार्य की गंभीरता के बीच में हलकी-फुलकी बातचीत में कोई बुराई नहीं है, लेकिन ऐसा न हो कि दफ्तर कार्यस्थल न रहकर चौपाल या फिर पंचायत स्थल का रूप लेने लगे।

13. क्या आप परफ्यूम्स या डियो इस्तेमाल करते हैं? अगर हां, तो ऑफिस में शिष्टाचार का सिद्धांत कहता है कि अपने महंगे खुशबूदार इत्र को सामाजिक आयोजनों के लिए रखें। दफ्तर में तेज गंध वाले कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करने से यथासंभव बचें। हो सकता है इससे दूसरों को परेशानी या एलर्जी होती हो। साथ ही इससे दूसरों का ध्यान भी बंटता है।

14. बिखरी हुई फाइल्स आपके अव्यवस्थित होने के बारे में बहुत कुछ कह देती हैं। इधर-उधर पडे कागज, खाने-पीने का सामान, चाय के कप या फिर कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलें डस्टबिन में फेंकने की आदत डालें। आखिर आप अपने घर में भी स्वच्छता का ध्यान रखते हैं तो फिर कार्यस्थल में ऐसा क्यों नहीं कर पाते!

15. ऑफिस में एक अन्य बात जिस पर ध्यान देना जरूरी है, वह है रेस्ट रूम की सफाई। वॉश रूम का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखें कि आपकी वजह से किसी अन्य को परेशानी न हो। नल खुला छोड देने, कचरा डस्टबिन में न डालने और पानी फैलाने की आदतों से बाज आएं।

१६. यदि दफ्तर में आपको किचेन की सुविधा प्राप्त है तो स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। फ्रिज से खाना निकालते हुए, अवन में खाना गर्म करते हुए या गैस पर चाय बनाते हुए इस बात का खयाल रखें कि यह कई लोगों के इस्तेमाल के लिए है।

17. दूसरों के फैक्स, ईमेल्स, कम्यूटर स्क्रीन या मेल्स बगैर उनकी इजाजत के कभी भी न देखें या पढें।

आभार: जागरण

Monday, April 7, 2008

२१वि. सदी में हिंगलिश

आजकल हम सभी लोग अंग्रेजी की बढते प्रचलन से अनजान नहीं है। बिना अंग्रेजी के आप आजकल एक कदम भी नहीं उठा सकते। मेरा ख्याल है कि अब शायद महानगरों में ४0 -५०% लोग अंग्रेजी का प्रयोग करने लगे है। इन लोगो को बाकि लोगो से बात तो हिन्दी में ही करनी पड़ती है जो अंग्रेजी नहीं जानते जैसे ऑटो वाले, बस में, सब्जी वाला, और भी है ...... तो हम लोग "हिंगलिश" का प्रयोग करते है।


यहाँ तक की टी वी पर हिन्दी न्यूज़ चैनल पर भी अब हिंगलिश ही सुनाई तथा दिखाई देती है। आजकल "कोर्पोरेट कल्चर" में हम लोगो को पता ही नहीं चलता की हम कब हिंगलिश का प्रयोग कर गए।


महानगर में कुछ प्रचलित हिंगलिश .....

1. good है
2. hello है जी
3. good morning जी
4. ओ जी Thanks
5. rent पे लेना है
6. Sunday के दिन



हम लोग जाने-अनजाने में हिन्दी को अंग्रेजी में और अग्रेजी को हिन्दी में मिक्स कर "हिंगलिश" का प्रयोग करते है। तो भाइयो प्रश्न यह उठता है कि आज के दौर में किस प्रसिद्ध भाषा का उपयोग किया जाए, हिन्दी, अंग्रेजी या हमारी और आपकी "हिंगलिश" ?

Sunday, April 6, 2008

माइक्रोसाफ्ट की दादागिरी !

माइक्रोसाफ्ट कारपोरेशन ने याहू को धमकी दी है कि अगर वह तीन सप्ताह के भीतर उसके प्रस्तावित सौदे को नहीं मानता है तो वह उसका जबरन अधिग्रहण कर लेगा।

माइक्रोसाफ्ट के मुख्य कार्यकारी स्टीवन ए।बालमर ने शनिवार को याहू को लिखे एक पत्र में कहा कि हमसे बात न करके आप एक बहुत बड़े अवसर को गवां रहे हैं। याहू हमारे साथ सौदे को नकार कर अपने कर्मचारियों और शेयरधारकों को बहुत बड़े लाभ से वंचित कर रहा है।

पत्र के अनुसार, ‘अगर याहू का बोर्ड हमसे तीन सप्ताह के भीतर बात करने में असफल रहता है तो माइक्रोसाफ्ट इस प्रस्ताव को मजबूरन सीधे याहू के शेयरधारकों के पास ले जाएगी और याहू के निदेशक मंडल को बदलने का प्रस्ताव भी रख सकती है।’

जर्नल द वाल स्ट्रीट ने याहू कंपनी के एक नजदीकी के हवाले से बताया कि याहू बोर्ड माइक्रोसाफ्ट के पत्र की समीक्षा कर रहा है।

गौरतलब है कि याहू ने माइक्रोसाफ्ट का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया था कि उन्हें प्रस्तावित सौदे से अधिक रकम की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि माइक्रोसाफ्ट इसलिए भी याहू का अधिग्रहण करना चाहता है क्योंकि वह इस क्षेत्र में सर्च इंजिन गूगल से प्रतिस्पर्धा करना चाहता है और याहू इसके लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि इंटरनेट की दुनिया में उसकी एक पहचान है।
Source: Bhaskar

एक और बच्चन का निधन

हिंदी में आलोचना की परंपरा को नई दिशा देने वाले साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर प्रोफेसर बच्चनसिंह का शनिवार को दोपहर हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।

प्रोफेसर सिंह साँस की तकलीफ के चलते दो दिनों पूर्व अस्पताल में भर्ती हुए थे और शनिवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

शिमला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बच्चनसिंह हिंदी के मूर्धन्य समालोचक थे। उनका हिंदी साहित्य की हर विधा में महत्वपूर्ण योगदान था।

वर्ष 2007 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सिंह का जन्म दो जुलाई 1919 को जौनपुर में हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने वाराणसी में एनी बेसेंट द्वारा स्थापित ऐतिहासिक सेंट्रल हिंदू स्कूल में शिक्षक के रूप में अपना करियर आरंभ किया।

उन्होंने महाकवि निराला पर अपनी पहली पुस्तक लिखी, जबकि अलोचना की नई शैली विकसित करते हुए उन्होंने अपनी चर्चित पुस्तक 'हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास' लिखी।

Tuesday, April 1, 2008

... तब कहाँ छुपे थे भाई !!!

मेरे एक ब्लॉग पोस्ट "थोड़ा हिन्दी जान लो भाई !!!" को हिन्दी ब्लॉगर ने "इतनी गंभीरता" से लिया इसके लिए धन्यवाद! उनके नाम न लिखते हुए कमेंट यह है।

Comment One...
अब ऐसे मजाक घटिया लगते हैं। जाने-अनजाने आप हिन्दी के विरुद्ध किये जा रहे इस तरह के षडयन्त्रों में सहभागी हो रहे हैं। यदि दम हो तो कभी अंग्रेजी की पारिभाषिक शब्दावली का विश्लेषण कीजिये और समझने की कोशिश कीजिये कि वे कितने सार्थक हैं।
March 31, 2008 11:32 AM

Comment Two...
हास्य अच्छा है, पर आप अपनी हिन्दी थोडी सुधर लीजिये, ,, "थोड़ा हिन्दी जान लो भाई !!!" .. को अगर "थोड़ी हिन्दी जान लो भाई !!!" लिखते तो बेहतर होता..
March 31, 2008 12:56 PM

Comment Three...
एक बेहुदा मजाक, ऐसा शाहरूख व साजिद जैसे लोग करते है.
March 31, 2008 1:40 PM

Comment Four...
कितनी हीन भावना धंसी है आपमें जो अपनी मातृभाषा के साथ ये बेहूदगी आपको हास्य लगती है।
March 31, 2008 3:06 PM

Comment Five ...
Behoodi harkat hai yeh.
April 1, 2008 8:18 AM

लेकिन मुझे यह जानना है कि हिन्दी की यह दुर्दशा हो रही थी तो यह मठाधीश कहा थे। मुझे यह भी जानना है कि उसमें लिखे अग्रेजी के शब्दों का अर्थ अगर उन लोगो को पता है तो मुझे भी बता दे ताकि मैं भी उसको सुधर लू।