Tuesday, November 30, 2010

कुछ दूर हमारे साथ चलो ...

कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे
समझे न जिसे तुम आँखों से वो बात ज़बानी कह देंगे

फूलों की तरह जब होंठों पर इक शोख़ तबस्सुम बिखरेगा
धीरे से तुम्हारे कानों में इक बात पुरानी कह देंगे

इज़हार-ए-वफ़ा तुम क्या समझो इक़रार-ए-वफ़ा तुम क्या जानो
हम ज़िक्र करेंगे ग़ैरों का और अपनी कहानी कह देंगे

मौसम तो बड़ा ही ज़ालिम है तूफ़ान उठाता रहता है
कुछ लोग मगर इस हलचल को बदमस्त जवानी कह देंगे

3 comments:

Rajeysha said...

आपकी लि‍खी हुइर् रचना अच्‍छी है।

anshuja said...

bahot khoob...

Anonymous said...

अच्छा लगा