Thursday, February 26, 2009

पचास की हुई स्वीट सिक्सटीन

1959 में जब रथ हैंडलर ने फैशन डॉल के रूप में बार्बी को लॉन्च किया, तब न तो उन्हें और न ही उनके पति इलियट को भविष्य में इसे मिलने वाले रिस्पॉन्स का अंदाजा था। पर आज जब बार्बी को वजूद में आए पूरे पचास साल होने जा रहे हैं। तब इस मौके के लिए खासतौर पर दुनिया भर के मशहूर फैशन डिजाइनर बार्बी थीम पर ड्रेस कलेक्शन और प्रॉडक्ट्स लॉन्च कर रहे हैं। बार्बी के फैंस में विंटेज बार्बी डॉल्स की डिमांड बढ़ गई है। रथ हैंडलर व इलियट की कंपनी और बार्बी की निर्माता मैटल को मालिबू बार्बी समेत तमाम पुरानी डॉल फिर से डिजाइन करनी पड़ रही हैं।

ऐसे हुआ बार्बी का बर्थ बार्बी को बनाने का आइडिया अमेरिकी बिजनेसवूमन रथ हैंडलर (1916-2002) के दिमाग में आया था। अपनी बेटी को कागज की गुड़िया से खेलते देख रथ ने महसूस किया कि बच्चों को डॉल को बड़ों का लुक देने में बड़ा मजा आता है। पर तब जो डॉल चलन में थीं, वे छोटे बच्चों को रिप्रेजेंट करती थीं। तब रथ ने अडल्ट बॉडी वाली एक डॉल बनाने की सोची, पर न तो उनके पति को यह आइडिया जंचा और ना ही वे अपने आइडिया को हकीकत में उतार पाईं। 1956 में जब वे यूरोप टूर पर गईं तो जर्मनी की डॉल लिली को देखकर उनके दिमाग में बार्बी का आइडिया फिर जागा। लिली काफी हद तक बार्बी जैसी ही थी। उसका कैरेक्टर एक वर्किंग गर्ल के रूप में डिजाइन किया गया था।

अमेरिका लौटने पर रथ ने इंजीनियर की मदद से डॉल पर दोबारा काम किया और फाइनल होने पर उसे बार्बी नाम दिया। बार्बी नाम रथ की बेटी बारबरा के नाम पर दिया गया था। इस तरह न्यू यॉर्क के अमेरिकन इंटरनैशनल टॉय फेयर में 9 मार्च 1959 को बार्बी लॉन्च की गई। इसके बाद तो मैटल कंपनी ने लिली डॉल के राइट्स खरीद लिए और लिली का प्रॉडक्शन बंद कर दिया और पूरा ध्यान बार्बी पर फोकस किया।
Source: नवभारत टाईम्स

2 comments:

Anonymous said...

अंततः आज मालूम हो ही गई बार्बी डॉल के पीछे की कहानी। झकास है।

sandeep sharma said...

badhai...