Friday, July 10, 2009

कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया

आज बहुत दिनों बाद मैनें पुराने CD कलेक्शन को देखा तो उसमे एक CD बेगम अख्तर की मिली। उसमे से आपको अपनी पसंदीदा ग़ज़ल सुनाता हूँ ।


कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया

वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया

आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया


3 comments:

Udan Tashtari said...

अहा!! आनन्द आ गया. अभी भी बज रही है...वही गजल. आभार.

अमिताभ मीत said...

अमर कर दिया है बेगम अख्तर ने इस ग़ज़ल को. शुक्रिया.

विनीत खरे said...

धन्यवाद