नसीब आजमाने के दिन आ रहे हैं
करीब उनके आने के दिन आ रहे हैं
जो दिल से कहा है जो दिल ने सुना हैं
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं
अभी से दिल-ओ-जान सार-ए-राह रख करो
के लुटाने लुटाने के दिन आ रहे हैं
टपकने लगी उनके निगाहों से मस्ती
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं
सबा फिर हमें पूछती रही है
चमन को सजाने कश्मीर दिन आ रहे हैं
फ़िल्म: मुहाफिज़/In Custody (1993)
गायक: शंकर महादेवन
संगीतकार: उस्ताद जाकिर हुसैन और उस्ताद सुलतान खान
अगर आप किसी के पास यह ग़ज़ल हो तो कृपया मुझे भेज दे
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2 comments:
मेरे पास है। कैसेट में। यह तो सुलभता से उपलब्ध है।
ई मेल से एम पी 3 भेजना कॉपीराइट उल्लंघन होगा।
चलो...इसी बहाने एक अच्छी गज़ल पढने को मिल गई...आभार।
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